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Showing posts from April, 2017

ASCII कोड क्या हैं?

         ASCII कोड क्या हैं? हम कंप्यूटर पर जो कुछ भी लिखते हैं वो आस्की में ही लिखा होता है, प्रत्येक कंप्यूटर प्रयोगकर्ता अंकों, अक्षरों तथा संकेतों के लिए बाइनरी सिस्टम पर आधारित कोड का निर्माण करके कंप्यूटर को परिचालित कर सकता है| लेकिन उसके कोड केवल उसी के द्वारा प्रोग्रामों और आदेशों के लिए लागू होंगे| इससे कंप्यूटर के प्रयोगकर्ता परस्पर सूचनाओं का आदान प्रदान तब तक नहीं कर सकते जब तक कि वे एक -दूसरे द्वारा इस्तेमाल किये हुए कोड संकेतों से परिचित न हों| सूचनाओं के आदान प्रदान की सुविधा के लिए अमेरिका मे एक मानक कोड तैयार किया गया है जिसे अब पूर विश्व मे मान्यता प्राप्त है! इसे आस्की (ASCII) के नाम से जाना जाता है! इसमे प्रत्येक अंक, अक्षरों वा संकेत को 8 बीटो से दर्शाया गया है, इन 8 स्थानों पर केवल 0 और 1 की संख्या ही लिखी गयी है! बिट- बिट अर्थात Binary digit, कम्प्यूटर की स्मृति की सबसे छोटी इकाई है । यह स्मृति में एक बायनरी अंक 0 अथवा 1 को प्रदर्शित करता है । यह बाइनरी डिजिट का छोटा रूप है. बाइट- यह कम्प्यूटर की स्मृति (memory) की मानक इकाई है । कम्प्यूटर की स्मृति

www क्या हैं?

               www क्या हैं? वर्ल्ड वाईड वेब मे सूचनाओ को वेबसाईट के रूप मे रखा जाता है। ये वेबसाइटे वेब सर्वर पर हाईपरटैक्स्ट फाइलो को संग्रहित होती है। वर्ल्ड वाईड वेब की एक नाम प्रणाली हैै, जिसके द्वारा प्रत्येक वेबसाइट को एक विशेष नाम दिया जाता है। उसी नाम से उसे वेब पर पहचाना जाता है। किसी वेबसाइट के नाम को उसका URL (Uniform Resource Locator) भी कहा जाता है। जब हम किसी वेबसाइट को खोलना चाहते है, ब्राउजर प्रोगा्रम के पते वाले बाॅक्स या एड्रेस बार मे उसका नाम या URl भरते है। इस नाम की सहायता से ब्राउजर प्रोग्राम उस सर्वर तक पहुचता है जहाॅ वह फाइल या वेबसाइट स्टोर की गयी है और उससे एक वेबपेज प्राप्त करने के बाद हमारे कम्प्यूटर पर ला देता है। उस सूचना को व्राउजर प्रोग्राम माॅनीटर की स्क्रीन पर प्रदर्शित कर देता है। उस वेबसाइट पर कई हाइपरलिंक भी हो सकते है। प्रत्येक हाइपरलिंक किसी अन्य वेबपेज या वेबसाइट का URL बताता है। उस लिंक को क्लिक करने पर ब्राउजर उसी वेबपेज या वेबसाइट तक पहुचकर उसे उपयोगकर्ता को उपलब्ध करा देता है। इस प्रकार उपयोगकर्ता किसी वेबसाइट को देख सकता है, जिसका U

Files तथा Folder से आप क्या समझते है?

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Files तथा Folder से आप क्या समझते है, इससे सम्बंधित विभिन्न ऑपरेशन को समझाइये BY  COMPUTERHINDI   · PUBLISHED  MARCH 11, 2017  · UPDATED  MARCH 11, 2017 आप जानते है किसी कंप्यूटर में बनायीं जाने वाली फाईलो को किसी माध्यम पर स्टोर किया जाता है जैसे- हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क आदि फाइल्स को बड़ी संख्या के कारण उन्हें विभिन्न समूहों या डायरेक्टरीयो में बाँट कर रखा जाता है ताकि कोई विशेष फाइल को ढूँढना तथा उसका प्रयोग करना आसान हो |हर कंप्यूटर में ईएसआई या इससे मिलती जुलती व्यवस्था होती है | विंडोज में भी फाईलो को व्यवस्थित करने की इसी विधि का उपयोग किया जाता है | किसी फोल्डर में नया फोल्डर बनाना ( Creating a New Folder in a Folder ) :- आप पहले से बने हुए किसी भी फोल्डर में नया फोल्डर बना सकते है | इसके लिए निम्नलिखित क्रियाये कीजिये- सबसे पहले उस फोल्डर को खोल लीजिये जिसमे आप नया फोल्डर बनाना चाहते है उस फोल्डर की विंडो स्क्रीन पर खुल जाएगी | इस विंडो के मेन्यु बार में फाइल विकल्प को चुनिए | इससे फाइल का पुल डाउन मेनू खुल जायेगा | इस पुल डाउन मेनू में new विकल्प पर माउस पॉ

Window Explorer क्या है इसकी Facility

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Window Explorer क्या है इसकी Facility विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम में विंडोज एक्स्प्लोरर कंप्यूटर में उपलब्ध संसाधनों को खोजने फाइल व्यवस्थापन को अत्यंत सरल एवं तीव्र बनाने के लिए फाईलो फोल्डरो पर कार्य करने के लिए शक्तिशाली टूल है |विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम की सर्वप्रथम विंडो डेस्कटॉप विंडो की टास्कबार पर स्थित को क्लिक करने पर प्रदर्शित लिस्ट में Window Explorer प्रोग्राम प्रदर्शित होता है प्रोग्राम क्लिक करने के बाद Window Explorer प्रदर्शित होती है | इस विंडो में top पर title bar प्रदर्शित  होता है| title bar के नीचे menu bar प्रदर्शित होता है | menu bar पर file, edit, view, go, favorites,तथा help menu प्रदर्शित होते है | menuber के नीचे toolbar प्रदर्शित होता है | टूलबार पर विभिन्न प्रकार के buttons होते है जिनका प्रयोग हम विभिन्न operations को पूरा करने में करते है | toolbar के नीचे address bar प्रदर्शित होता है | जिसके अन्दर उस drive का नाम प्रदर्शित होता है जिसके  folder तथा files इस विंडोमें प्रदर्शितहोती है |तथा दाई और वाले भाग में select की हुई drive तथा फोल्डरो की फाईलो की सूच

Windows accessories

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          Windows accessories Windows accessories ग्रुप विंडोज का महत्वपूर्ण भाग है| Windows accessories के अंतर्गत महत्वपूर्ण टूल्स उपलब्ध होते है जिन्हें हम अपनी आवश्यकता के अनुसार तथा इच्छानुसार प्रयोग कर सकते है विंडोज में स्टार्ट मेन्यु पर क्लिक करने के पश्चात् प्रदर्शित लिस्ट में programs option का चयन करते है इसके पश्चात् प्रदर्शित लिस्ट में programs के अंतर्गत लिस्ट में से accessories को सेलेक्ट करते है तथा उस पर क्लिक करते है तो इस ग्रुप के अंतर्गत विभिन्न सुविधाओ की सूची प्रदर्शित होती है जिनमे से मुख्य रूप से प्रदर्शित होने वाले टूल्स निम्नलिखित है| Character Map :- Character Map Windows में एक ऐसी सुविधा है जिसका प्रयोग करके हम यह ज्ञात कर सकते है की किस फॉण्ट में किस अक्षर के लिए कौन सी Key या Key Combination को निर्धारित किया गया है | इस प्रोग्राम को चलने के लिए Character Map आप्शन पर डबल क्लिक करते है | स्क्रीन पर Character Map विंडोज प्रदर्शित करते है | इस विंडोज में प्रदर्शित key को देखने के लिए फॉण्ट के सामने दिए गए टेक्स्ट बॉक्स के दाये भाग में बने पुल डाउन ए

वायरस निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus Program)

वायरस निरोधक प्रोग्राम (Anti Virus Program) हमारे कंप्यूटर में वायरस को खोजकर उसे नष्ट करने के लिए बनाये गए प्रोग्राम का एंटीवायरस (ANTI VIRUS) है। एंटी वायरस एक प्रोग्राम है जो की हमारे कंप्यूटर में वायरस को खोजता है और उन्हें नष्ट करता है। कंप्यूटर के लिए एंटी वायरस बहुत जरुरी होता है। एंटीवायरस किसी वायरस के सक्रीय होने पर आपको सूचित करता है। एंटी वायरस के द्वारा समय समय पर कंप्यूटर को स्कैन भी किया जा सकता है। आज के समय में कई एंटीवायरस बाजार में और इंटरनेट पर उपलब्ध है। कुछ मुख्य एंटीवायरस इस प्रकार हैं- नॉर्टन (NORTAN) , अवीरा (AVIRA), मकैफ़ी (Mcafee) , अवास्ट (AVAST) आदि। इनका ऑटो प्रोडक्ट इस्तेमाल से पहले प्रोग्राम और ईमेल का जाँच करके उसे वायरस मुक्त बनाता है। यदि आपके कंप्यूटर में कोई वायरस सक्रीय हो रहा है या हो गया है तो आपको ये सूचित करता है। अब बात आती है की एंटीवायरस के प्रयोग द्वारा कंप्यूटर को कैसे सुरक्षित रखा जाय- 1. अपने कंप्यूटर को वायरस मुक्त रखने के लिए समय समय पर एंटी वायरस द्वारा स्कैन किया जाना चाहिए। 2. जब भी आप अपने कंप्यूटर में अलग से मेमोरी लग

कम्प्यूटर वायरस के प्रकार( Types of Computer Virus)

कम्प्यूटर वायरस के प्रकार( Types of Computer Virus) बूट सेक्टर वायरस  (Boot Sector Virus)  –  इस प्रकार के वायरस फ्लापी तथा हार्डडिस्क के बूट सेक्टर में संगृहीत होते है| जब कम्प्यूटर को प्रारम्भ करते है तब यह आपरेटिंग सिस्टम को लोड होने में बाधा डालते है और यदि किसी तरह आपरेटिंग सिस्टम कार्य करने लगता है तब यह कम्प्यूटर के दुसरे संयंत्रो को बाधित करने लगते है| पार्टीशन टेबल वायरस  (Partition Table Virus)   –  इस प्रकार के वायरस हार्ड डिस्क के विभाजन तालिका को नुकसान पहुचाते है| इनसे कम्प्यूटर के डाटा को कोई डर नही होता| यह हार्डडिस्क के मास्टर बूट रिकार्ड को प्रभावित करता है तथा निम्नलिखित परिणाम होते है| यह मास्टर बूट रिकार्ड के उच्च प्राथमिकता वाले स्थान पर अपने आप को क्रियान्वित करते है| यह रैम की क्षमता को कम कर देते है| यह डिस्क के इनपुट/आउटपुट नियंत्रक प्रोग्राम में त्रुटी उत्पन्न करते है| फ़ाइल वायरस (File Virus) –  यह वायरस कंप्यूटर की Files को नुकसान पहुचता है यह .exe फ़ाइल को नुक्सान पहुचता हैं इन्हें फाइल वायरस कहा जाता हैं| गुप्त वायरस  (Stealth Virus)   –

वायरस फैलता कैसे है?

        वायरस फैलता कैसे है? वायरस फैलने के कई कारण हो सकते है | इसके संक्रमण के मुख्य कारण इस प्रकार है– चोरी किये गये सॉफ्टवेयर से (Using A pirated Software) नेटवर्क प्रणाली से (Through Network System) दुसरे संग्रह के माध्यम से (Through Secondary Storage Device) इन्टरनेट से (Through Internet)   चोरी की गई सॉफ्टवेयर से  (Using A Pirated Software)   –  जब कोई सॉफ्टवेयर गैर कानूनी ढंग से प्राप्त किया गया हो, तो इसे चोरी किये गये साफ्टवेयर कहते है| नेटवर्क प्रणाली से  (Through Network System)  –  आज कल सभी कंप्यूटर्स को एक दूसरे से जोड के रखा जाता है और कंप्यूटर एक दूसरे से जुड़े होने के कारण डाटा को आसानी से हस्तांतरित किया जा सकता है तब यह पूरे नेटवर्क पर वायरस के संक्रमण का कारण बनता है| द्वितीयक संग्रह के माध्यम से  (Through Secondary Storage Device)  –  जब कोई डाटा द्वितीयक संग्रह के माध्यम से स्थानांतरित या कॉपी किया जाता है तो उसका वायरस भी उसमे स्थानांतरित हो जाता है तथा यह संक्रमण (Virus) का कारण बनता है| इन्टरनेट से  (Through Internet)  –  आज इन्टरनेट को

वायरस क्या है?

            वायरस क्या है? VIRUS का पूरा नाम Vital Information Resources Under Siege है। वायरस कम्प्यूटर में छोटे- छोटे प्रोग्राम होते है। जो auto execute program होते जो कम्प्यूटर में प्रवेष करके कम्प्यूटर की कार्य प्रणाली को प्रभावित करते है। वायरस कहलाते है। वायरस एक द्वेषपूर्ण प्रोग्राम है जो कंप्यूटर के डाटा को क्षतिग्रस्त करता है। यह कंप्यूटर डाटा मिटाने या उसे खराब करने का कार्य करता है। वायरस जानबूझकर लिखा गया प्रोग्राम है। यह कंप्यूटर के बूट से अपने को जोड़ लेता है और कंप्यूटर जितनी बार बूट करता है वायरस उतना ही अधिक फैलता है। वायरस हार्ड डिस्क के बूट सेक्टर में प्रवेश कर के हार्ड डिस्क की गति को धीमा कर देता है प्रोग्राम चलने से भी रोक सकता है। कई वायरस काफी समय पश्चात भी डाटा और प्रोग्राम को नुकसान पंहुचा सकते हैं। किसी भी प्रोग्राम से जुड़ा वायरस तब तक सक्रीय नहीं होता जब तक प्रोग्राम को चलाया न जाय। वायरस जब सक्रीय होता है तो कंप्यूटर मेमोरी में अपने को जोड़ लेता है और फैलने लगता है प्रोग्राम वायरस प्रोग्राम फ़ाइल को प्रभावित करता है। बूट वायरस बूट रिकॉर्ड , पार्टीशन औ

टोपोलॉजी (Topology)

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          टोपोलॉजी (Topology) टोपोलॉजी नेटवर्क की आकृति या लेआउट को कहा जाता है | नेटवर्क के विभिन्न नोड किस प्रकार एक दुसरे से जुड़े होते है तथा कैसे एक दुसरे के साथ कम्युनिकेशन स्थापित करते है, उस नेटवर्क को टोपोलॉजी ही निर्धारित करता है टोपोलॉजी फिजिकल या लौजिकल होता है| Computers को आपस में जोडने एवं उसमें डाटा Flow की विधि टोपोलाॅजी कहलाती है। टोपोलॉजी किसी नेटवर्क में कम्प्यूटर के ज्यामिति व्यवस्था (Geometric arrangement) को कहते है | “Topology is a Layout of Networks” नेटवर्क टोपोलॉजी सामान्यत: निम्नलिखित प्रकार की होती है:- रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology) बस टोपोलॉजी (Bus Topology) स्टार टोपोलॉजी (Star Topology) मेश टोपोलॉजी (Mesh Topology) ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology) रिंग टोपोलॉजी  (Ring Topology)  – इस कम्प्यूटर में कोई होस्ट, मुख्य या कंट्रोलिंग कम्प्यूटर नही होता | इसमें सभी कम्प्यूटर एक गोलाकार आकृति में लगे होते है प्रत्येक कम्प्यूटर अपने अधीनस्थ (Subordinate)  कम्प्यूटर से जुड़े होते है, किन्तु इसमें कोई भी कम्प्यूटर स्वामी नही होता है | इसे सर्कुलर